सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद पूर्व में अन्य रचनाकारों/अनुवादकों द्वारा किया गया है, और विभिन्न भाषाओं में अत्यन्त रुचि से उन्हें पढ़ा गया है, परन्तु हिन्दी भाषा में स्तरीय काव्यानुवाद कम ही हुए हैं। आचार्य शंकर की इस अनुपम रचना का हिन्दी भाषांतर करना श्रमसाध्य कार्य है और बिना भगवत्कृपा के सम्भव भी नहीं है।
सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है इस कृति में। आचार्य शंकर की इस अप्रतिम कृति के अनेकों अनुवाद विभिन्न भाषाओं में हो चुके हैं। भक्तों, साधकों, योगियों, तांत्रिकों एव साहित्य साधकों – सर्व के लिए सर्वगुणयुक्त कृति है यह।
सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद
उपासना, भक्ति, माधुर्य, रीति, प्रीति, तंत्र, मंत्र, आचार, संस्कार, दर्शन एवं साहित्य- एक साथ विरल संयुक्त हैं सौन्दर्य लहरी में। संस्कृत भाषा का वैभव निहारना हो तो इस ग्रंथ का आश्रय लिया जा सकता है। रम्य भाषा, विपुल शब्द सम्पदा, छन्द, लय गति, प्रवाह सबका विरल सगुम्फन है इस कृति में।
रम्यांतर वेब पोर्टल के सह ब्लॉग सच्चा शरणम् पर आचार्य शंकर की सौन्दर्य लहरी का सौन्दर्य हिन्दी भाषा में बिखरा पड़ा है। हिन्दी काव्यानुवाद में भाव की प्रमुख भूमिका है। इस कृति का ज्यों का त्यों अनुवाद कर पाना असम्भव है किसी अनुवादक के लिए, अतः एक छोटे बालक की ढिठाई है इसमें। ‘तर्तुं उडुपे नापि सागरम्’ वाला प्रयास है यह, पर भगवती की कृपा शेष शंकर के अमोघ बल से यह कार्य संभव हुआ है। इसमें कविताई न आ सकी है, न विद्वता का कोई पुट परन्तु शंकर एवं पार्वती की स्तुति का शिखर-लक्ष्य तो पा ही लिया है अनुवादक ने। सौन्दर्य लहरी के स्तोत्रों का हिन्दी भावानुवाद सच्चा शरणम् पर निरन्तर कई प्रविष्टियों में प्रकाशित होकर सम्पूर्ण हो चुका है और ब्लॉग पर अध्ययन के लिए उपलब्ध है।