पेरू के प्रख्यात लेखक मारिओ वर्गास लोसा (Mario Vargas Llosa) एक महत्वपूर्ण लैटिन अमेरिकी साहित्यकार हैं। इन्हें वर्ष 2010 में साहित्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। लोसा का एक विशिष्ट निबन्ध है – पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The premature obituary of the book : Why literature)। इस निबन्ध में Mario Vargas Llosa साहित्य के सम्बन्ध में कई आम हो चली धारणाओं और इनके प्रभाव स्वरुप साहित्य-पठन के निरन्तर ह्रास को रेखांकित करते हैं।
साहित्य को लेकर ऐसी ही एक धारणा यह बन चुकी है कि साहित्य के लिए समय और विलासिता दोनों महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हैं। इस धारणा का कारण यह सोच है कि साहित्य भी मूलतः अन्य माध्यमों की तरह एक मनोरंजन है अथवा मनोरंजन का माध्यम है। ऐसी सोच की प्रवृत्तियाँ समाज में साहित्य के प्रति उदासीनता का भाव निर्मित कर रही हैं। अधिकांशतः लोग पढ़ना नहीं चाहते हैं, उसके स्थान पर कोई तत्क्षण सुख देने वाली वस्तु में उलझना ज्यादा श्रेयस्कर समझते हैं।
Why Literature? by Mario Vargas Llosa
इस निबन्ध में Mario Vargas Llosa साहित्य को अवकाश के क्षणों में विलासिता की वस्तु के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत करते हैं और इस पक्ष में तर्क देते हैंं कि साहित्य मस्तिष्क के क्रियाकलापों के लिए एक प्राथमिक और आवश्यक वस्तु है और आधुनिक प्रजातांत्रिक समाज, स्वतंत्र व्यक्तियों के समाज के लिए नागरिकों के निर्माण कार्य की एक ऐसी वस्तु है जिसे हटाया नहीं जा सकता है।
सच्चा शरणम् पर मारिओ वर्गास लोसा का यह महत्वपूर्ण निबन्ध कई प्रविष्टियों में प्रस्तुत हुआ है और हिन्दी रूपांतर के रूप में पूर्णतः उपलब्ध है। यह हिन्दी रूपांतर इस निबन्ध को हिन्दी पाठकों से परिचित करायेगा और लोसा की विशिष्ट चिन्तन धारा से साक्षात् करेगा।