Why ?

Himanshu Pandey
By Himanshu Pandey - Teacher & Blogger

क्यों ?
खो गए हो विकल्प में,
चर्चित स्वल्प में
विस्मृत सुमधुर अतीत
क्यों लेकर चलते हो
बेगाना गीत
स्वर्ग की ईच्छा क्यों
छोड़ दी तुमने
आख़िर अनसुलझी, अस्तित्वविहीन
अनगिनत कामनाओं की डोर
क्यों जोड़ दी तुमने

आख़िर क्यों बहक जाते हो
तुम इस चक्रव्यूह में,
क्या नहीं कोई तुम्हारा
साथ कालने वाला सहारा
जो करता हो मार्ग प्रशस्ति
और क्या नहीं रहा
तुम्हारा साहस
जिसकी एक आहट
दिखाती चैतन्य
हो जातीं कठिनाइयाँ अनुमन्य
और उगता तुम्हारा सूर्य।

भला क्यों कोई साथी
कोई सहारा
कोई साहस न रहा
भिगोने को ह्रदय उद्यत
क्यों कोई पावस न रहा ?

मैं पूछता हूँ प्रश्न –
आख़िर क्यों ?
और तुम कहते हो उत्तर –
हाँ, क्यों ?

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